नागरिकता कानून पर विपक्ष का झूठ कब तक

 

प्यारे लाल टीवी पर देश भर में चल रहे'नागरिकता कानून पर  बबाल को होते देख कर खुश हो रहा था, उसके चेहरे पर उभरते भाव बता रहे थे कि उग्र होते प्रदर्शन उसके अंतर्मन को कितना आनन्द पहुंचा रहे हैं।


 

मुसाफ़िर-- बड़े खुश हो प्यारे लाल जी क्या बात है ?

 

प्यारे लाल-- आओ देखो  मियां ..तुम भी देखो ...कैसे देश मोदी के खिलाफ खड़ा हो गया है।

 

मुसाफ़िर-- अच्छा ! तो इनमें देश कहां है ?

 

प्यारे लाल -- देख लो सामने है

 

मुसाफ़िर-- यह तो एक तरफा...एक ही समुदाय ..के. भाई इसमें गंगा-जमनी तहज़ीब है कहां ? इनके तो कपड़े बता रहें है,आंदोलन एक तरफ़ा होता जा रहा है ? तुम तो कह रहे थे ये नागरिकता कानून सभी भारतीयों के खिलाफ है, एक वेशभूषा वालो को छोड़ कर और सब क्यों नही है ?

 

प्यारे लाल--मिले-जुले है सब।

 

मुसाफ़िर ने प्यारे लाल की आंखों में आंखे डाल कर पूछा--क्यों बेचारे गरीब मुसलमानों के कंधे पर रख कर बन्दूक चला रहे हो,जब सरकार बार-बार कह चुकी है कि किसी भी भारतीय को देश से बाहर नहीं निकाला जायेगा फिर क्यों उन्हें भड़का रहे हो। तुम लोग इनको कभी हिंदुस्तानी बनने भी दोगे या नहीं ?

 

प्यारे लाल-- क्या मतलब है तुम्हारा!

 

मुसाफ़िर-- इन्हें देश भक्त बनाओ भैय्या ...इन्हें  समझाओ हिदुस्तान को अपना मुल्क समझें, ये  सरकारी संम्पत्ति न जलाये पुलिस पर हमला न करें। आज बिल्कुल वेसे ही नारे लगाए जा रहे है जैसे 1947 से पहले लगते थे? इन्हें रोको प्यारे लाल जी ये ओछे हथकंडे क्यो अपना रहे हो?

मोदी से नाराजगी है तो भइया उसे चुनाव में हराओ इस तरह खुंदक क्यो निकाल रहे हो आगजनी और पथराव करके।

 

मुसाफ़िर यह सोचते हुए उठ खड़ा हुआ -कि विपक्ष इतना गैर जिम्मेदार कैसे हो गया ,सत्ता तक पहुचने के लिये ऐसे घिनोने हथकंडे अपनाना कहां तक ठीक है ? कांग्रेस और उसके साथी कभी ऐसे तो नहीं थे ...? आज यह देश के दुश्मन क्यों बने हुए हैं.... प्रियंका गांधी पत्थर चलाने वालों को शहीद का दर्जा दे रहीं है...वोट बैंक के लिए इतना नीचे भी कोई जा सकता है ?