हैदराबाद एनकाउंटर


मुसाफ़िर और प्यारे लाल चाय की चुस्कियों के साथ टीवी पर नज़र गढ़ाये बैठे थे और समाचार था हेदराबाद में बलात्कार के आरोपियों का एनकाउंटर.....


प्यारे लाल...क्यों सर क्या लगता है ,पुलिस की स्टोरी में दम है ?


मुसाफ़िर-- पुलिस की कहानी गले तो नहीं उतर रही ,लेकिन देश की जनता खुश है और चाहती है बलात्कारियो के साथ ऐसा ही सलूक होना चाहिये।


प्यारे लाल --लेकिन अभी तो तहकीकात भी शुरू नहीं हुई थी।


मुसाफ़िर-- पुलिस करती भी तो क्या ..जब आरोपी पुलिस की कस्टडी से भाग रहें हो और उनसे हथियार छीनने की कोशिश करें,  तो पुलिस क्या उनकी पूजा करती ?


प्यारे लाल-- यार फिर भी ऐसी लचर कहानी किसी के गले  उतर नहीं रही ।


मुसाफ़िर -- देखो भई गले उतरे या न उतरे लोग बड़े खुश है पुलिस को कंधे पर उठा रहे हैं उनपर फूल बरसा रहे हैं लगभग सारी महिला नेत्रियां भी इस एनकाउंटर का खुले मन से स्वागत कर रहीं है।


प्यारे लाल--फिर भी हमारे देश मे एक न्यायिक प्रक्रिया है ऐसे तो पुलिस तो किसी को भी ..कहीं पर भी गोली मार देगी ऐसे में पुलिस पर उंगलिया उठना लाज़मी है


मुसाफ़िर--  उंगलियां उठेंगी तो पुलिस जवाब देगी।


प्यारे लाल पुलिस के इस तरीके से घबराया हुआ था और उसके जहन में एक हिंदी फिल्म का दृश्य बार-बार घूम रहा था ..पुलिस पर एक रेपिस्ट को पकड़ने का मीडिया और जनता का जबरदस्त दवाब था, मुख्यमंत्री ने 24 घण्टे में आरोपी को पकड़ने के आदेश जारी कर दिये ...पुलिस ने भी आदेश को अंजाम दिया और एक 80 साल के वरद्ध व्यक्ति को सलाखों के पीछे डाल कर आदेश की इतिश्री कर ली। बेचारा मुफ्त में गरीब मारा गया लेकिन उसके साथ -साथ यह भी सोच रहा था कि फ़िल्मों में जब सच्चा पुलिस वाला ऐसे एनकाउंटर करता है तो लोग तालियां भी बजाते है, ऐसा ही आज पूरे देश मे पुलिस के लिये माहौल बना हुआ है? शायद ये इसलिए हो रहा है कि जनता न्याय जल्दी न मिलने के कारण ऐसे तरीको का खुले दिल से समर्थन कर रही है।


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